सिवनी :- कलेक्टर संस्कृति जैन एवं उपसंचालक कृषि मोरिस नाथ ने किसानों को सलाह देते हुए कहा है कि फसल की कटाई के बाद फसल अवशेषों को कदापी न जलाएँ। इससे पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ मृदा स्वास्थ्य एवं जनजीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। फसल अवशेष जलाने से वातावरण में कार्बन डाईऑक्साईड, मिथेन, कार्बन मोनोऑक्साईड आदि गैसों की मात्रा बढ़ जाती है। मृदा की सतह का तापमान 60-65 डिग्री सेन्टीग्रेड हो जाता है, ऐसी दशा में मिट्टी में पाये जाने वाले लाभदायक जीवाणु जैसे- राइजोबियम प्रजाति, एजोटोबैक्टर प्रजाति, एजोस्प्रिलम प्रजाति आदि नष्ट हो जाते है। ये सूक्ष्य जीवाणु खेतों में डाले गये खाद एवं उर्वरक को तत्व के रूप में घुलनशील बनाकर पौधों को उपलब्ध कराते हैं। अवशेषों को जलाने से ये सभी सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते है। इन्हीं सूक्ष्म जीवों के नष्ट हो जाने से खेतों में समुचित रूप से खाद एवं उर्वरकों की आपूर्ति पौधों को न हो पाने के करण उत्पादन प्रभावित होता है।
नरवाई प्रबंधन हेतु करें उन्नत कृषि यंत्रों का उपयोगः कृषक भाई उन्नत कृषि यंत्र जैसे श्रेडर, मल्चर, स्ट्रारिपर, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर इत्यादि यंत्रों का उपयोग कर नरवाई प्रबंधन कर सकते है। स्ट्रारीपर के माध्यम से खेत में खड़े फसल अवशेषों को भुसे में परिवर्तित कर पशुओं के लिये आहार तैयार किया जा सकता है जो कि वर्ष भर पशुओं को खिलाने के लिये उपयोगी हो सकता है। इसी प्रकार हैप्पी सीडर, सुपर सीडर के माध्यम से कृषक भाई खेत में फसल अवशेषों जलाये बिना, फसलों की बोनी कर सकते है। उक्त यंत्र कार्यालय सहायक कृषि यंत्री से अनुदान पर ऑन लाईन आवेदन प्रक्रिया के माध्यम से कृषकों को दिये जा रहे है। वर्तमान में हैप्पी सीडर एवं सुपर सीडर यंत्रों के आवेदन दिनांक 18/04/2025 से आमंत्रित किये जा रहे है। प्राप्त आवेदनों के आधार पर लक्ष्य निर्धारण किया जावेगा एवं लॉटरी जारी कर चयनित कृषकों को योजना का लाभ दिया जावेगा। हैप्पी सीडर एवं सुपर सीडर यंत्र अनुदान पर क्रय करने हेतु कृषक को आवेदन के साथ स्वयं के बैंक खाते से 4500/- रूपये की डी.डी. सहायक कृषि यंत्री सिवनी के नाम से बनाकर जमा करना अनिवार्य होगा।
नरवाई प्रबंधन से संबंधित जागरूकता अभियान हेतु रथ रवाना: कृषकों के बीच नरवाई प्रबंधन को लेकर जागरूकता फैलाने हेतु सोमवार 21 अप्रैल को कलेक्टर संस्कृति जैन के माध्यम से हरि झंडी दिखाकर रथ रवाना किया गया। उक्त रथ ग्राम पंचायतों में जाकर कृषकों को नरवाई प्रबंधन के संबंध में जागरूक करेगा साथ ही स्ट्रारिपर का सजीव प्रदर्शन भी कृषकों के बीच करवाया जावेगा।
नरवाई प्रबंधन हेतु वायो डीकम्पोजर है समाधान: फसल अवशेष पर वेस्ट डिकम्पोजर कचरा अपघटक या बायोडायजेस्टर के तैयार घोल का छिड़काव करें या फसल की कटाई के बाद घास-फूस पत्तियाँ, ठूंठ, फसल अवशेषों को सड़ाने के लिए 20-25 किलोग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर बिखेर कर नमी की दवा में कल्टीवेटर या रोटावेटर की मदद से मिट्टी में मिला देना चाहिए। इफको द्वारा निर्मित बायो डीकम्पोजर 20 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी के साथ एवं उक्त घोल में 2 किलो गुंड मिलाकर 7 दिवस तक रहने दे, 7 दिवस के पश्चात उक्त 200 लीटर घोल को लगभग 1.5 से 2 एकड़ रकबे पर स्प्रे करने से फसल अवशेष विघटित होकर मिट्टी में मिल जाते है और जीवाणुओं के माध्यम से हह्यूमस में बदलकर खेत में पोषक तत्व (नत्रजन, फास्फोरस, पोटाष, सल्फर आदि) तथा कार्बन तत्व की मात्रा को बढ़ा देते है। हमारे खेतों में ये हृयूमस तथा कार्बन ठीक उसी प्रकार काम करते है जैसे हमारे खून में रक्त कणिकाएँ। इसीलिए किसान भाई फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाकर पर्यावरण को सुरक्षित बनाने में सहयोग प्रदान करें।
जुर्माने का भी है प्रावधान: म.प्र. शासन पर्यावरण विभाग मंत्रालय द्वारा दिनांक 5 मार्च 2017 को जारी नोटिफ्रिकेशन में नरवाई जलाने पर 2 एकड़ से कम 2500/- रूपये, 2 एकड़ से 5 एकड़ तक 5000/- एवं 5 एकड़ अधिक 15000/- रूपये का जुर्माना किया जाना प्रस्तावित है। इस संबंध में कलेक्टर महोदय सिवनी द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व समस्त को पत्र लेख किया है कि फसल अवशेष नरवाई जलाने पर अर्थ दण्ड वसूलने की कार्यवाही की जावें।





