सिवनी के कई हिस्सों में हो रही भारी से बहुत भारी बारिश जहां आम जनजीवन को प्रभावित कर रही है
छपारा/सिवनी
वहीं किसानों के लिए यह मौसम एक गंभीर चुनौती बन गया है। खेतों में खड़ी खरीफ फसलें जलभराव से जूझ रही हैं, जिससे उत्पादन पर बड़ा असर पड़ सकता है। मौसम विभाग और कृषि विशेषज्ञों ने इस स्थिति को चिंताजनक बताते हुए किसानों को एहतियाती उपाय अपनाने की सलाह दी है।
खरीफ की फसलें सबसे अधिक प्रभावित
कृषि विभाग और विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान समय खरीफ फसलों के लिए अत्यंत संवेदनशील है। इस मौसम में मक्का, मूंग, उड़द, मूंगफली, सूरजमुखी, गन्ना, धान, अरहर, तिल जैसी फसलें या तो बीजारोपण की अवस्था में हैं या अंकुरण और प्रारंभिक विकास के चरण में हैं। ऐसे में जलभराव से सबसे ज्यादा खतरा बीजों के सड़ने, अंकुरण रुकने और पौधों के गिरने का होता है।
मूंगफली जैसी फसलें, जो जमीन के भीतर फलन करती हैं, उनके लिए जलभराव जानलेवा साबित हो सकता है। खेतों में पानी भरने से इन फसलों की जड़ें गलने लगती हैं और उत्पादन शून्य हो सकता है। गन्ने के खेतों में पानी रुकने से उसकी वृद्धि प्रभावित होती है और धान की नर्सरी एवं रोपाई पूरी तरह से बाधित हो जाती है।
सब्जियों और फलदार वृक्षों को भी खतरा
सब्जियों की खेती करने वाले किसानों की चिंता भी कम नहीं है। भिंडी, लौकी, कद्दू, टमाटर, मिर्च जैसी सब्जी फसलें जलभराव की स्थिति में जल्दी खराब हो जाती हैं। इन पौधों में पत्तों का गलना, फलों का सड़ना और जड़ों का खराब होना आम समस्याएं हैं। इस समय में विशेष देखभाल न करने पर एक ही बारिश में पूरी फसल नष्ट हो सकती है।
फलदार वृक्षों – जैसे आम, केला, पपीता आदि पर भी भारी बारिश और तेज हवाओं का प्रभाव पड़ता है। तेज हवा से फल टूटकर गिर सकते हैं जिससे पैदावार और गुणवत्ता दोनों पर असर पड़ता है। केला और पपीता जैसे पौधे अत्यधिक संवेदनशील होते हैं, जिनमें तने टूटने तक की संभावना रहती है।
जल निकासी और निगरानी की सलाह
कृषि विशेषज्ञों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जलभराव की स्थिति में फसलों की सुरक्षा के लिए सबसे पहले खेतों से अतिरिक्त पानी निकालना आवश्यक है। खेतों की मेड़बंदी और ड्रेनेज चैनल बनाकर पानी की निकासी सुनिश्चित की जानी चाहिए। किसान अपने खेतों की लगातार निगरानी करें और जहां आवश्यकता हो वहां पानी के बहाव की दिशा को नियंत्रित करें।
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इसके अलावा, फसलों की स्थिति पर नजर रखना और मौसम पूर्वानुमान के आधार पर कृषि गतिविधियां करना अत्यंत आवश्यक है। कृषि विभाग द्वारा जारी की गई सलाह का पालन करने से नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
कीट और रोग का खतरा
जलभराव की स्थिति में फसलों पर कीट और रोगों का प्रकोप तेजी से बढ़ सकता है। विशेषकर मक्का, तिल और सब्जी फसलों में पत्तियों पर फफूंद, कीट, बैक्टीरिया व वायरस जनित रोगों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। किसान समय-समय पर जैविक या रसायनिक कीटनाशकों का छिड़काव करें और लक्षण दिखाई देने पर तत्काल कृषि विशेषज्ञों से संपर्क करें।





