उत्पादन से ज्यादा खरीदी, गिरदावली बनी मजाक, व्यापारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से खेला गया पूरा खेल
सिवनी/लखनादौन- पानी को तरसते लखनादौन क्षेत्र में अचानक 10 से 12 हजार क्विंटल मूंग कहाँ से टपक पड़ी? यह सवाल अब जिले के हर कोने में गूंज रहा है। समर्थन मूल्य पर हुई खरीदी में राजस्व और खरीदी प्रभारियों ने नियम-कायदों को ताक पर रखकर ऐसा खेल किया कि पूरा तंत्र संदेह के घेरे में आ गया है।
बिना सिकमीनामा पंजीयन – भुगतान तक पूरा
नियम साफ कहते हैं कि मूंग खरीदी के लिए सिकमीनामा जरूरी है। लेकिन यहाँ तो हजारों पंजीयन बिना किसी वैध दस्तावेज के कर डाले गए। न केवल खरीदी की गई, बल्कि उसका भुगतान भी समय से कर दिया गया। सवाल उठता है- क्या किसानों के नाम पर यह पूरा खेल विभागीय मिलीभगत से नहीं हुआ?
उत्पादन से ज्यादा खरीदी – गिरदावली बनी मजाक
लखनादौन में पानी की मार के चलते मूंग की खेती बेहद सीमित है। इसके बावजूद सरकारी आँकड़े बताते हैं कि 3545 किसानों से लगभग 10 से 12 हजार क्विंटल मूंग खरीदी गई। सूत्रों बताते है जबकि असलियत यह है कि उत्पादन उतना था ही नहीं। गिरदावली की नियमानुसार खेत पर जाँच की जानी चाहिए थी, लेकिन अफसरों ने कुर्सी पर बैठकर कागजों में सबूत गढ़ डाले।
व्यापारियों का काला खेल
सरकारी रेट 8682 रुपए क्विंटल और बाजार भाव लगभग 5000–5500 रुपए था। यही अंतर लालच बना और व्यापारियों ने खेल खेला। दूसरे किसानों के नाम पर पंजीयन करा लिया, बाहर जिलों-नरसिंहपुर, कटनी से मूंग मंगाई और खरीदी केंद्रों पर खपाकर मोटी कमाई कर ली। किसानों को कुछ कमीशन थमाया और पूरा तंत्र आँख मूँदकर इस गोरखधंधे को देखता रहा।
वीरान जमीन भी आई काम
सूत्रों का दावा है कि लखनादौन की एक संस्था की सालों से वीरान पड़ी जमीन तक को दस्तावेज में लगाकर पंजीयन करा लिया गया। सहकारी समिति की पर्चियों और शपथ पत्रों में खुली विसंगतियाँ हैं। स्पष्ट है कि बिना अधिकारियों की मिलीभगत के इतना बड़ा खेल संभव ही नहीं।
जिला प्रशासन की चुप्पी संदिग्ध
इतनी बड़ी अनियमितताओं के बावजूद जिला प्रशासन खामोश है। न तो किसी तरह की जाँच शुरू हुई और न ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई। सवाल साफ है-जब उत्पादन था ही नहीं तो खरीदी कैसे हुई? मूंग कहाँ से आई? और किसके इशारे पर यह खेल चला? क्या लखनादौन की मूंग खरीदी घोटाले की फाइल भी धूल खाएगी, या फिर प्रशासन हिम्मत दिखाकर इस गोरखधंधे को उजागर करेगा?
क्रमशः अगले अंक में….





