धूमा विद्युत तंत्र पर किसानों का कड़ा सवाल, टीसी कनेक्शन में अव्यवस्था या व्यवस्था पर पर्दा? विभागीय खामोशी ग्रामीणों के संदेह को और भारी कर रही है..

सिवनी- धूमा क्षेत्र का विद्युत तंत्र पिछले कुछ महीनों से ...

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सिवनी- धूमा क्षेत्र का विद्युत तंत्र पिछले कुछ महीनों से ग्रामीणों के निशाने पर है। टीसी कनेक्शन प्रक्रिया, शुल्क की पारदर्शिता और फील्ड स्टाफ की कार्यप्रणाली को लेकर उठ रहे गंभीर सवालों ने विभाग की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है, ग्रामीणों का कहना है कि टीसी कनेक्शन की ऑनलाइन डिमांड अब सुविधा नहीं, उलझन बन गई है। कई किसानों का आरोप है कि ऑनलाइन राशि जमा करने के बाद भी विभागीय रिकॉर्ड में भुगतान नहीं मिलने का खतरा बना रहता है, और कनेक्शन मिलने की समयसीमा अनिश्चित रहती है।

फील्ड स्टाफ दफ्तर में ग्रामीणों का तीखा कटाक्ष..

ग्रामीणों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि
जिस कर्मचारी को खेतों, खंभों, ट्रांसफॉर्मरों पर रहना चाहिए, वह बिना-फील्ड आदेश के दफ्तर में बैठा हुआ है। क्या यह व्यवस्था की मजबूरी है या किसी अंदरूनी निर्णय का परिणाम? स्थानीय लोगों का सवाल है कि जब ट्रांसफॉर्मर बार-बार फुंक रहे हैं, लाइनें जर्जर हालत में हैं, मरम्मत कार्य महीनों से लटके पड़े हैं, तो फील्ड स्टाफ की कमी बताकर काम रोका जाना किसकी जिम्मेदारी है?

ग्रामीणों का तीखा कटाक्ष, विद्युत तंत्र जमीन पर नहीं उतरा है, कुर्सियों पर जड़कर बैठा है..

ऑनलाइन डिमांड पारदर्शिता या उलझी हुई प्रक्रिया? किसानों का कहना है कि टीसी कनेक्शन का निर्धारित शुल्क क्या है, अतिरिक्त क्या है, कौन-सी राशि अनिवार्य है, इन सबका कोई स्पष्ट लिखित दस्तावेज जनता को उपलब्ध नहीं कराया जाता। यही कारण है कि ग्रामीणों के मन में यह संदेह गहराता जा रहा है कि ऑनलाइन डिमांड किसानों की सुविधा का साधन कम, वसूली का नया औजार ज्यादा बनती जा रही है।

विभागीय चुप्पी, सवालों पर चट्टान जैसा सन्नाटा..

ग्रामीणों के ये प्रश्न लगातार उठ रहे हैं, टीसी कनेक्शन के शुल्क में पारदर्शिता क्यों नहीं है? कर्मचारियों की फील्ड तैनाती के लिखित आदेश सार्वजनिक क्यों नहीं किए जाते? भुगतान के बाद भी कनेक्शन समय पर न मिलने पर जवाबदेही किसकी तय होती है? मरम्मत कार्य धीमे क्यों हैं जबकि क्षेत्र में दैनिक शिकायतें बढ़ रही हैं? लेकिन विभाग की ओर से कोई स्पष्ट बयान अभी तक जारी नहीं हुआ है। यही चुप्पी ग्रामीणों के संदेह को और गाढ़ा कर रही है। किसानों का कहना, धूमा का बिजली तंत्र सरकार की नीतियों को जमीन तक पहुँचने ही नहीं देता, स्थानीय नागरिकों ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों की सुविधा के लिए योजनाएँ बनाती है, पर स्थानीय स्तर पर उनकी सुनवाई तक नहीं होती। किसानों का कहना है कि बार-बार आवेदन, बार-बार संपर्क, बार-बार आश्वासन, लेकिन परिणाम वही, काम लटका, किसान भटका।

जांच की माँग, यदि विभाग सही है तो जांच से बड़ा प्रमाण कोई नहीं..

ग्रामीणों ने कहा, हम चाहते हैं कि पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच हो। विभाग अगर सही है, तो जांच से उसकी छवि और साफ होगी। लेकिन अगर गड़बड़ी है, तो उसे ढकने की कोशिश बदबू और बढ़ाएगी, धूमा की बड़ी तस्वीर, फील्ड स्टाफ का महत्वपूर्ण समय दफ्तर में, मरम्मत कार्य लगातार धीमे, ट्रांसफॉर्मर और लाइनें जर्जर, ऑनलाइन डिमांड में पारदर्शिता के सवाल, टीसी कनेक्शन की प्रक्रिया अस्पष्ट, विभागीय प्रतिक्रिया शून्य, इन सबके चलते ग्रामीणों में यह धारणा मजबूत होती जा रही है कि यहाँ व्यवस्था नहीं, व्यवस्था पर हावी मनमानी चल रही है, किसान इंतजार में है न बिजली दुरुस्त हो रही है, न कनेक्शन समय पर मिल रहा है, न विभाग जवाब दे रहा है। अब हमें केवल काम चाहिए, कहानी नहीं।

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