स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय लखनादौन में RTI प्रकरण सूचना के अधिकार अधिनियम की खुलेआम धज्जियाँ, रविवार को आवेदक को बुलाकर किया गया शासन नियमों का खुला उल्लंघन..

सिवनी- शासन पारदर्शिता का दावा करता है, परंतु जमीनी हकीकत ...

Published on-

सिवनी- शासन पारदर्शिता का दावा करता है, परंतु जमीनी हकीकत में सरकारी कार्यालयों की लापरवाही और नियमों की अवहेलना अब सामान्य हो चुकी है। स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय लखनादौन में घटित ताज़ा प्रकरण ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की भावना को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। दिनांक 07/12/2025, दिन रविवार, जब समूचे शासकीय कार्यालय साप्ताहिक अवकाश के कारण बंद रहते हैं, उसी दिन लोक सूचना अधिकारी द्वारा आवेदक को महाविद्यालय में उपस्थित होने के लिए बुलाया जाना स्वयं में गंभीर प्रश्न उत्पन्न करता है। निर्धारित समय पर उपस्थित होने पर आवेदक ने देखा कि लोक सूचना अधिकारी अनुपस्थित, महाविद्यालय प्राचार्य अनुपस्थित, समस्त कार्यालय कक्ष पर ताला लटका और ताले पर स्पष्ट रूप से जाड़ा हुआ होने के चिन्ह दिखाई दिए। आवेदक को जानबूझकर ऐसे दिन बुलाया गया, जिस दिन कार्यालय खुला ही नहीं था, यह सीधे-सीधे शासन के नियमों तथा सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(1) का घोर उल्लंघन है, जिसमें आवेदक को समयबद्ध, पारदर्शी और विधिसम्मत तरीके से सूचना उपलब्ध कराने का दायित्व लोक सूचना अधिकारी पर स्पष्ट किया गया है।

क्या कहते हैं शासन के नियम?

RTI Act 2005 धारा 6(1) आवेदक को निर्धारित अवधि में सूचना उपलब्ध कराने या उचित कार्यवाही का दायित्व लोक सूचना अधिकारी का है, आवेदक को परेशान करने, अनावश्यक रूप से बुलाने या समय से फाइल उपलब्ध न करवाने का कोई अधिकार अधिकारी को नहीं है, RTI अधिनियम की धारा 5(4) अधिकारी अन्य विभाग से सूचना जुटाने में असमर्थ हो तो समय-सीमा में सूचना न देने की जिम्मेदारी भी अधिकारी पर ही तय होती है, रविवार/शासकीय अवकाश में किसी आवेदक को कार्यालय बुलाना पूर्णतः अवैध और शासन-विरुद्ध कार्य है। शासन नियम स्पष्ट करते हैं कि RTI प्रक्रिया केवल कार्यदिवसों में ही संचालित होती है। आवेदक को ऐसे दिन बुलाना जब कार्यालय बंद हो, सूचना प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करना, आवेदक को मानसिक प्रताड़ना देना, अनावश्यक चक्कर कटवाना, शासन नियमों की अवमानना इन सभी श्रेणियों में यह कार्य सीधे शामिल होता है।

कब होगी इन अधिकारियों पर कार्रवाई?

लोक सूचना अधिकारी और महाविद्यालय प्रशासन पर निम्नलिखित बिंदुओं पर कार्रवाई अपेक्षित है, शासन विरुद्ध आदेश जारी कर रविवार को आवेदक को बुलाना, अवैध, नियम विरुद्ध और RTI अधिनियम के मूल सिद्धांतों का अपमान, निर्धारित समय पर कार्यालय का बंद रहना, यह सिद्ध करता है कि अधिकारी RTI प्रक्रिया को गंभीरता से नहीं लेते, आवेदक को भ्रमित करना व मानसिक उत्पीड़न, RTI अधिनियम की धारा 20 के तहत ऐसे मामलों में आर्थिक दंड तथा विभागीय जांच का प्रावधान है। प्राचार्य एवं PIO दोनों की अनुपस्थिति यह प्रश्न उठता है कि क्या महाविद्यालय प्रशासन RTI को जानबूझकर टाल रहा है? क्या सूचना को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है? आवेदक को रविवार को क्यों बुलाया गया? क्या सूचना देने से बचने का प्रयास किया गया? क्या अधिकारी सूचना को रोकने के लिए जानबूझकर अवैध तारीख तय कर रहे हैं? क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या भ्रष्टाचार का संरक्षण? और आखिर कब तक शासन के नियमों की ऐसी धज्जियाँ उड़ाई जाएँगी? अब जिम्मेदारी प्रशासन की है कि वह इस मामले को तत्काल संज्ञान में लेकर लोक सूचना अधिकारी, महाविद्यालय प्राचार्य तथा सम्बंधित कर्मचारियों पर विभागीय जांच, दोष सिद्ध होने पर दंड, तथा RTI अधिनियम 2005 की धारा 20 के तहत जुर्माना लगाए। स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय लखनादौन में घटित यह घटना न केवल आवेदक के साथ अन्याय है, बल्कि शासन के उन सिद्धांतों पर सीधा प्रहार है जो पारदर्शिता और जवाबदेही की नींव पर टिका है, क्या इस जिले में नियमों का राज है या मनमानी का?

Tags:

आपके लिए खास

Leave a Comment