‘गौरैया मेरी सहेली’ कार्यक्रम की हुई शुरुआत…

सिवनी/लखनादौन:- नगर के महिला सामाजिक संगठन निश्छल वेल्फेयर सोसाइटी के ...

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सिवनी/लखनादौन:- नगर के महिला सामाजिक संगठन निश्छल वेल्फेयर सोसाइटी के द्वारा 20 मार्च 2025 से विश्व गौरैया दिवस पर एक नये कार्यक्रम की शुरुआत की है। जो गौरैया संरक्षण से सम्बन्धित है। कार्यक्रम का स्लोगन “”गौरैया मेरी सहेली “”रखा गया है। संगठन की बहनो ने गौरैया के दो घोंसले बबली सोनी और अनामिका तिवारी को भेंट कर इसकी शुरुआत की है। साथ ही बहनो को गौरैया संरक्षण की आवश्यकता के बारे मे भी बताया। अर्चना तिवारी संगठन संचालक ने गौरैया मह्त्व उसके संरक्षण पर विचार रखे। आपने बताया कि इस नन्ही प्यारी चिड़िया को आदर्श वातावरण देने और इसके संरक्षण की बहुत आवश्यकता है। तेजी से बदलते शहर अब गौरैया के लिए उपयुक्त आवास नहीं रह गये हैं। क्योंकि बुनियादी ढांचे के नये और आधुनिक डिज़ाइन मे गौरैया के लिए आवास बनाने के लिये कोई जगह ही नहीं है। माइक्रोवेव टावरों और कीटनाशकों के कारण प्रदूषण से घरेलु गौरैया अपने चारागाह खो रहीं है। अगर गौरैया गायब हो जाय तो कीटों की आबादी में वृद्धि हो सकती है। जिससे फैसलों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है,और संभावित रूप से कीटों के द्वारा फैलाई जाने वाली बीमारियों का प्रसार हो सकता है। प्यारी गौरैया खाद्य श्रंखला का हिस्सा भी है।जो विभिन्न शिकारियों के लिये शिकार का काम भी करती है। टिड्डी की दुश्मन गौरैया नहीं रहीं तो टिड्डी के झुंड के झुंड फसलों पर हमला कर सकते हैं। गौरैया के कारण परिस्थितिकी तंत्र सही रहता है। छोटे पक्षी जैव विविधता को और मजबूत करने में सहायक होते है। परिणाम हरियाली और हरा भरा वातावरण बना रहता है। प्राकृतिक कीट नियन्त्रण गौरैया छोटे मोटे कीटों को खाकर जैविक संतुलन बनाये रखती है।परायण और बीजों का प्रसार ये गौरैया बखूबी करती है। फ़ूलों और बीजों के जरिये जैव विविधता को बढ़ावा देती है। पर्यावरण सूचक गौरैया की मौजूदगी एक स्वस्थ परिस्थितिकी तंत्र का संकेत मानी जाती है।

संगठन की बहनो ने आमजन से निवेदन किया है कि तेजी से विलुप्त होती गौरैया के संरक्षण में अपना योगदान देने आगे आयें। घरों के आसपास या क्षत पर पेड़ छोटे पौधें लगाएं ताकि गौरैया को आश्रय स्थल मिल सके। घरों के बाहर या क्षत पर अनाज पानी रखे।

अर्चना तिवारी ने बताया कि संगठन की बहनें फरवरी 2026 तक 50 बहनो को घोंसला देकर प्रतीक्षित करेगी। क्योंकि फरवरी के माह से ही गौरैया अपने घोंसले में अंडे देना प्रारम्भ करती है। संगठन की सभी बहनो में इस कार्यक्रम को लेकर बहुत उत्साह देखने मिला है। सभी ने अपने अपने क्षत पर गौरैया के आमंत्रण हेतु घोंसले रखने का संकल्प लिया है।

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