सिवनी- ग्राम पंचायत भरदा आज किसी विकास कार्य से नहीं, बल्कि अधूरे, उलझे और संदिग्ध दस्तावेज़ों से सुर्खियों में है। ग्रामीणों और पंचायत सूत्रों का कहना है कि चार वर्षों (2021-2025) में पंचायत के अभिलेखों पर जितनी स्याही लगी है, उतने काम ज़मीन पर नहीं दिख रहे, ग्रामीणों के शब्दों में, भरदा में कागज़ चलता रहा, काम ठहरता रहा, और शासन मूक-दर्शक बना रहा।
रजिस्टरों के पन्ने चीख रहे हैं, पर सुनने वाला कौन?
जिन रजिस्टरों को शासन नियमों ने सबसे बड़ा सबूत माना है, वही आज अपने पन्नों पर बेतरतीब, टेढ़ी-मेढ़ी, और संदिग्ध प्रविष्टियों का बोझ ढो रहे हैं, सूत्रों के अनुसार, व्यय रजिस्टर में तिथियाँ आगे-पीछे, बिलों में विक्रेताओं का पूरा विवरण नदारद, कैश बुक और रोकड़-बही में संख्याएँ मेल न खाना, और मटेरियल खरीद में मूल्य व मात्रा का भारी अंतर
स्पष्ट रूप से कई सवाल खड़े कर रहा है, ग्रामीणों का कहना है, रजिस्टर का हर पन्ना बोल रहा है, जांच करो, जांच करो, जांच करो।
काम कहाँ हैं? रकम कहाँ गई? ग्रामीणों का बड़ा सवाल..
भरदा पंचायत के कई कार्य कागज़ों में पूरे दिखाए गए हैं, पर ग्रामीणों के मुताबिक, कागज़ पर अनेकों कार्यों का अता पता नहीं बने, सड़कें बनीं, नालियाँ बनीं पर ज़मीन पर केवल घास-फूस और धूल है। सूत्र बताते हैं कि जिन कार्यों पर लाखों की राशि व्यय दर्ज है, वे स्थल पर या तो अधूरे हैं या दिखते ही नहीं, कुछ ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, काम कम, कागज़ी चालाकी ज्यादा।
सरपंच-सचिव और रोजगार सहायक पर ग्रामीणों की सीधी उंगली, मिलीभगत के आरोप तेज..
ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच- सचिव और रोजगार सहायक के कार्यों में जिस तरह की गोपनीयता, बंद कमरे की फाइलें और जल्दबाज़ी वाली प्रविष्टियाँ दिखाई दे रही हैं, वे मिलीभगत की ओर इशारा करती हैं, ग्रामीणों का आरोप, तीनों मिलकर शासन की आँखों में धूल झोंक रहे हैं, और रकम कागज़ों में नचा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कुछ दस्तावेज़ ऐसे भी हैं जिनकी प्रविष्टियाँ एक ही दिन में महीनों का हिसाब निपटा देती हैं, जो कि शासन नियमों में गंभीर अनियमितता की श्रेणी में आता है।
प्रशासन की सुविधाजनक चुप्पी क्यों?
ग्रामीणों ने कहा है कि शिकायतों पर प्रशासन की चुप्पी अब सवाल नहीं, संदेह बन चुकी उनका कहना है, भरदा में कागज़ों की गड़बड़ी कोई राज़ नहीं, खुली किताब है। पर शासन शायद पढ़ना ही नहीं चाहता। उन्हें केवल जांच की जाएगी प्रक्रिया में है, उचित कदम उठाए जाएंगे, जैसे घिसे-पिटे जवाब ही मिले, 2021-2025 तक का टुकड़ा-टुकड़ा ऑडिट, स्थल पर सत्यापन अनिवार्य, ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा है कि अब औपचारिकता नहीं चाहिए, कड़क, दो-टूक और जमीन पर उतरने वाली जांच चाहिए। वे निम्न दस्तावेज़ों का थर-थर खोलकर परीक्षण चाहते हैं, व्यय रजिस्टर, कैश बुक, रोकड़-बही, मटेरियल बिल, माप पुस्तिका, अनुमोदन पत्र, भुगतान आदेश, बाजार से उठे बिल और चार वर्षों में किए गए सभी निर्मित/अधूरे/न बने कार्यों का स्थल निरीक्षण फाइल नहीं, फील्ड की जांच करो। कागज़ नहीं, काम को देखो।
अब गेंद प्रशासन के पाले में और जनता की नजरें गड़ी हैं..
भरदा पंचायत में 2021-2025 के बीच हुए कामों और खर्चों के चारों ओर संदेह का बादल घना हो चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जांच हुई तो सच्चाई बाहर आएगी, और यदि जांच न हुई तो यह माना जाएगा कि कुछ छिपाने की कोशिश है, भरदा की फाइलें बंद नहीं रहेंगी या तो खुलेंगी, या खुलवाई जाएंगी।





